लोगों की राय

सामाजिक विमर्श >> भारतीय डायस्पोरा: विविध आयाम

भारतीय डायस्पोरा: विविध आयाम

रामशरण जोशी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :196
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13761
आईएसबीएन :9788126726110

Like this Hindi book 0

‘डायस्पोरा’ शब्द का मुख्य अर्थ है – अपने देश की धरती से दूर विदेश में बसना, अर्थात ‘प्रवासन’!

‘डायस्पोरा’ शब्द का मुख्य अर्थ है – अपने देश की धरती से दूर विदेश में बसना, अर्थात ‘प्रवासन’। इसका लक्षण है विदेश में रहते हुए भी अपने देश की सांस्कृतिक परम्पराओं को निभाते रहना। आज दुनिया में अनेक तरह के डायस्पोरा समुदाय हैं और भारत को दुनिया के दुसरे सबसे बड़े डायस्पोरा समुदायों में गिना जाता है। यह पुस्तक ‘भारतीय डायस्पोरा : विविध आयाम’ प्रवासन के अर्थ, विकास और प्रभाव पर महत्त्पूर्ण सामग्री प्रस्तुत करती है। इसके अनुसार, ‘आज का डायस्पोरा उन्नीसवीं सदी की अभिशप्त, प्रताड़ित और शोषित मानवता नहीं है। आधुनिक डायस्पोरा उत्तर-औपनिवेशक और साम्राज्यवादी काल में राष्ट्र-राज्य (नेशन-स्टेट) के निर्माण और संचालन में निर्णायक भूमिका निभा रहा है। यही कारण है कि आज इस शब्द का प्रयोग विभिन्न देशों के मानव समूहों के विस्थापन, प्रवासन और पुनर्वसन के संसार को रेखान्कित करने के लिए किया जाता है।’ पुस्तक में बारह लेख हैं जो भारतीय डायस्पोरा के बारे में मूल्यवान जानकारियां देते हैं। अंत में दी गई पारिभाषिक शब्दावली से विषय के विविध आयाम सूत्रबद्ध होते हैं। आज जब भारतवंशी विश्व के विभिन्न देशों में रहते हुए उन देशों की समृद्धि व् गतिशीलता में उल्लेखनीय योगदान कर रहे हैं, तब उनके ‘अस्मिता-विमर्श’ पर अध्ययन सामग्री की बहुत जरूरत है। यह पुस्तक इस आभाव को काफी हट तक कम करती है। विशेषज्ञ लेखकों ने अपने अध्ययन व् अनुसन्धान से प्रमाणिक सामग्री प्रस्तुत की है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai